पटना विश्वविद्यालय में चयनित हो दीपक ने लहराया मिथिला विश्वविद्यालय का परचम।
लनामिवि दरभंगा:- कहा जाता है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती, यह साबित कर दिखाया है मिथिला विश्वविद्यालय के प्रतिभाशाली छात्र, शोधार्थी व शिक्षक रहे दीपक कुमार राय ने। डॉ. राय मधुबनी जिला के बाबूबरही प्रखंड के घोंघोर गाँव के मूल निवासी हैं। उनके पिताजी का नाम सुधा कांत राय व मां का नाम श्याम दाय है।
डॉ. राय ने स्नातक, स्नातकोत्तर व पी-एच.डी. मिथिला विश्वविद्यालय से की है। स्नातकोत्तर विश्वविद्यालय अर्थशास्त्र विभाग से की और अपने 2012-2014 बैच के गोल्डमेडलिस्ट भी रहे, जिसके लिये स्वयं तत्कालीन महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति सह पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने उन्हें गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया था। तत्पश्चात उन्होंने पीआरटी 2016 बैच में महारानी रामेश्वरी महिला महाविद्यालय, दरभंगा की अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. गजाला उर्फी के मार्गदर्शन में 2019 में उपाधि प्राप्त किया। इसी दौरान उन्होंने अर्थशास्त्र विषय में जुलाई 2018 में आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) में सफलता अर्जित कर 21 दिसंबर 2018 को मिथिला विश्वविद्यालय के चेथरु महतो जनता महाविद्यालय, दोनवारी हाट, खुटौना, मधुबनी में अर्थशास्त्र विषय में बतौर अतिथि सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए जहां से 2022 में उनका तबादला बिलट महथा आदर्श महाविद्यालय, बहेड़ी, दरभंगा में हो गया। 2023 में उनके प्रतिभा को एक और नया आयाम मिला और वो बिहार पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर स्थायी रूप से राजकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय, जिला सुपौल में चयनित हुए और अब 2024 में फाइनली वो अपने साधे हुए लक्ष्य पर पहुंच गये। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग, पटना द्वारा अनारक्षित कोटे में बतौर अर्थशास्त्र विषय में सहायक प्राध्यापक उन्हें नई जिम्मेदारी के रूप में पटना विश्वविद्यालय आवंटित हुई है। बिहार का गौरव पटना विश्वविद्यालय आवंटित होते ही उनके प्रशंसकों, चाहनेवालों, छात्र-छात्राओं, परिवारजनों व मित्रमंडली के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खबर लिखे जाने तक उनके आवास व दूरभाष पर बधाई देनेवालों का तांता लगा रहा। उनके इस उपलब्धि से आज मिथिला विश्वविद्यालय को गौरवान्वित होने का मौका मिला है। उनके इस स्वर्णिम उपलब्धि ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि अब सफलता के लिये पटना व दिल्ली में रहकर ही आप सफल हो सकते हैं। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में सफलता का सारा श्रेय अपने माता श्याम दाय पिता सुधा कांत राय, पत्नी ज्योति कुमारी के साथ-साथ परिवारजनों, गुरुजनों, मित्रों व मुख्य रूप से स्वाध्याय को देते हुए कहा कि ये इन्हीं लोगों से मिले प्रेरणा के बदौलत संभव हुआ है और साथ ही सफलता में स्वाध्याय का कोई तोड़ नहीं है।